Thursday 12 November 2015

यथा दृष्टि तथा सृष्टि (As Your Vision So The World)

The Problem is Whenever you see negativity in others, Firstly you harm yourself than others.
 I will explain you with a example, using common names ram and shyam... but you can compare it, with your life moments:

राम बोहोत ही मेहनती था और वो सभी बड़ो की बात सुनता था और उनका आदर करता था।  पर उससे भी ज्यादा मेहनती श्याम था। राम और
श्याम धीरे धीरे दोस्त बन गए | राम रोज  श्याम को  मेहनत करते देखता और  उससे सीखते रहता ।  उससे सीखकर वो उसके काम में तररकी करते ही जा  रहा था। धीरे धीरे वो श्याम से भी ज्यादा मेहनती हो गया। अब श्याम को राम से जलन होने लग गयी क्युकी श्याम राम से सिर्फ मेहनत में अच्छा था । लोग उसकी तारीफ  सिर्फ उनकी मेहनत पे करते थे । लेकिन अब तारीफ श्याम से ज्यादा राम की होने लग गयी थी । अब श्याम से रहा नहीं गया और उसने सोचा की मै राम की सब तरफ निंदा करुगा ताकि लोग उसकी अच्छाई देख ही न पाए और उसने वैसा ही किया । उसने उसके सोने के ढंग से लेकर बात करने के ढंग तक सब बात मै उसकी बुराई ढूंढी और लोगो को बताने लगा ।
अब  उसका ध्यान उसके काम से हटकर राम के काम को ख़राब करने मै लग गया । राम अपना रास्ता पकड़ के आगे बढ़ते गया ,अपनी गलतिया सुधारते गया और दुसरो की अच्छाइयों को देख कर आगे बढ़ता गया  । अब राम को बहार काम का मौका मिला और राम ख़ुशी ख़ुशी चला गया, जिन्होंने राम को काम करने का मौका दिया वो श्याम को देने वाले थे पर श्याम की जिंदगी राम की बुराई देखते देखते खराब हो गई |
राम के चले जाने के बाद ,उसके पास पछताने के सिवा कुछ नहीं बचा | राम को थोड़ा सा नुकसान हुआ वो ये था की वो श्याम से ज्यादा नहीं सिख पाया । महाभारत मैं भी लिखा है:

यथा दृष्टि तथा सृष्टि "
                                             "As Your Vision So The World"